अलीगढ़ : ताला-तालीम के साथ अलीगढ़ को जायकेदार व्यंजनों का शहर भी कहते हैं। यहां की देशी घी से निॢमत गजक की मिठास अमेरिका सहित अन्य देशों में घुल रही है। यहां के नामचीन जलाली वाले ने गजक की खरीद के लिए ऑनलाइन बुकिंग सेवा शुरू की है। कोरोना काल में अमेरिका, दुबई, इग्लैंड, कनाडा सहित अन्य देशों से रोज 25 से 50 हजार तक के ऑर्डर मिल रहे हैं। सुरक्षित पैकेट में इस गजक की डिलीवरी चार दिन के अंतराल में सात समंदर पार के ग्राहकों को की जा रही है। तीन दिन पहले ही चीन सीमा पर तैनात फौजियों ने 150 डिब्बा (एक किलो का पैकेट) का ऑर्डर दिया है। गोवा, मुंबई, जयपुर, पुणे सहित तमाम शहरों से भी रोज के ऑर्डर मिल रहे हैं। मकर संक्रांति तक गजक के और भी ऑर्डर बढऩे की उम्मीद है। यह फर्म 50 से अधिक लोगों को रोजगार दे रही है।
सबसे बेहतर व्यंजन
गजक को सॢदयों का सबसे बेहतर व्यंजन बताया गया है। तिल-गुड़ की खूबियों को आयुर्वेदिक पद्धति में रामबाण कहा जाता है।शहर में गजक की तमाम वैरायटी बनाने का श्रेय जलाली वाले परिवार को जाता है। इस परिवार केशहर में चार प्रतिष्ठान हैं। इनके यहां देशी घी से निॢमत गजक की तकरीबन 20 तरह की वैरायटी मौजूद हैं। इनमें खस्ता गजक, तिलपट्टी, गजक मूंगफली, रेवड़ी सादा व मावा, गजक रोल, तीन तरह की तिल चिक्की, तिल व मावा के लड्डू-बर्फी, तिल केक लड्डू पट्टी, लड्डू गुड़, मावा व तिल आदि शामिल हैं। प्रतिष्ठान के मालिक राजीव जलाली गजक की ऑनलाइन सेल करते हैं।
स्वाद व जायका के 85 साल पूरे
जिला मुख्यालय से 20 किलो मीटर दूर स्थित कस्बा जलाली के मूल निवासी लाला रामस्वरूप 1934 में अलीगढ़ आए थे। इन्होंने सन 1968 तक गजक की आठ वैरायटी तैयार कर लीं। इनके पुत्र राधारमन ने विरासत में मिले नाम को और भी बुलंदियों पर पहुंचाया। तीसरी पीढ़ी के रूप में राधारमन के तीन बेटों में अनिल जलाली ने रामघाट रोड, राजीव जलाली ने सेंटर प्वाइंट व रामघाट रोड स्थित जलाली वाले के नाम से गजक का सबसे बड़ा शोरूम खोला। मदारगेट स्थित प्रतिष्ठान को प्रमोद जलाली संभाले हुए हैं। इस परिवार की चौथी पीढ़ी चारुल वाष्र्णेय व यश वाष्र्णेय के रूप में अपने पुरखों के कारोबार को संभाल रहे हैं।
इनका कहना है
सॢदयों का सीजन शुरू हो चुका है। देशी-विदेशी बाजार में हमारी फर्म की गजक की मांग बढ़ गई है। विदेशों में मसीह समाज प्रभु यीशु के जन्मोत्सव को भव्यता से मनाते हैं। वहीं अप्रवासी भारतीय विदेशों में दान-पुण्य का पर्व मकर संक्रांति भी मनाते हैं। इन पर्वों के लिए गजक की ऑनलाइन मांग हो गई है।
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