अलीगढ़ । अधिकतर ग्राम प्रधान पूरे साल जनता के सामने बजट न होने के रोना रोते रहे, लेकिन हकीकत में प्रधानों से पूरा बजट तक खर्च नहीं हुआ है। जिले में 90 फीसद से अधिक ग्राम प्रधान व सचिव शासन से मिले बजट की पूरी धनराशि खर्च तक नहीं कर सके हैं। अब भी जिले में करीब 50 करोड़ से ज्यादा धनराशि प्रधान-सचिवों के खातों में पड़ी हुई है। इनमें तमाम पंचायत तो ऐसी हैं, जिनमें 10 लाख से ज्यादा धनराशि बची हुई है। वहीं, एक दो लाख तो लगभग हर पंचायत में रह गया है। अब शासन से निर्देश मिलने के बाद पंचायती राज विभाग इस धनराशि को खर्च करेगा।
जिले में 902 ग्राम प्रधान चुने गए
2015 में जिले में कुल 902 ग्राम प्रधान चुने गए थे। इन सभी ने 25 दिसंबर को शपथ ली। इसी दिन से इनका कार्यकाल शुरू हो गया है। शासन स्तर से केंद्रांश व राज्य वित्त आयोग से बजट जारी किया गया। आबादी के हिसाब से सभी पंचायतों को बजट दिया गया। केंद्र की ओर से जहां साल भर में दो किश्तों में धनराशि आई। वहीं, राज्य वित्त आयोग से चार किश्तों में पैसा दिया गया। हर पंचायत में औसतन साल भर में 10 लाख से ज्यादा का बजट शासन से दिया गया। इस धनराशि से प्रधानों को नाली, खड़ंजा, सड़क, स्कूल, पंचायत घर समेत अन्य कार्य कराने होते हैं। मनरेगा व स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत अलग से धनराशि आती है।
878 पंचायत ही रह गई
2017 में योगी सरकार ने शहर के आसपास की 16 नगर पंचायतों को नगर निगम की सीमा में शामिल करा दिया। वहीं, आठ पंचायत नई नगर पंचायतों में चली गई। ऐसे में विभाग की ओर से भी इन पंचायतों को खत्म कर दिया गया। ऐसे में जिले में 878 ग्राम पंचायतों के लिए शासन से बजट आ रहा था। अब शुक्रवार रात 12 बजे से प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो गया है, लेकिन प्रधान पूरी धनराशि खर्च नहीं कर सकें। अधिकतर पंचायतों में सरकारी बजट पड़ा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि 50 करोड़ से अधिक पैसा अब भी बाकी रह गया है। हालांकि, इसकी स्थिति शनिवार को ही स्पष्ट हो जाएगी।
नहीं चली वेबसाइट, फंसे ठेकेदार
प्रधान अपने कार्यकाल को नजदीक आते देख पिछले दो महीने से काफी तेजी से काम करा रहे थे। हर ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य चल रहा था। उन्हें उम्मीद थी कि वह अंतिम दो दिनों में इसका भुगतान कर लेंगे, लेकिन अंतिम दो दिनों में वेबसाइट दगा दे गई। दो दिनों में एक दो भुगतान ही हो सका। इसी कारण पंचायतों में बजट शेष रह गया है। अब ठेकेदार भुगतान के लिए सचिवों की परिक्रमा लगा रहे हैं। हालांकि, सचिव भी प्रधानी खत्म होने के चलते अब बिना शासन के आदेश के कोई भुगतान नहीं कर सकते। जिले में करोड़ों के विकास कार्य हुए पड़े हैं।
करोड़ तक हैं बाकी
सूत्र बताते हैं कि अकराबाद ब्लॉक की अकराबाद ग्राम पंचायत में सबसे अधिक धनराशि बची हुई है। यहां करीब एक करोड़ से ज्यादा पैसा बचा हुआ है। अन्य भी कई बड़ी पंचायत हैं, जहां लाखों रुपये बचे पड़े हैं।
आज तैनात हो सकते हैं प्रशासक
प्रधानी खत्म होने के बाद अब शासन से प्रशासक नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। हर ब्लॉक के एडीओ पंचायत को यह जिम्मेदारी देने की तैयारी चल रही है। शनिवार को यह आदेश जारी हो सकता है।
मार्च में चुनाव संभावित
अभी तक की तैयारियां के हिसाब से सरकार मार्च में चुनाव संभावित है। परिसीमन व मतदाता पुनरीक्षण का कार्य चल रहा है। वहीं, मत पत्र भी जिले में आ चुके हैं। जल्द ही आरक्षण को लेकर भी आदेश आ सकता है। ऐसे में अब गांव के लोग चुनाव की तारीख का इंतजार कर रहे हैं। कोरोना के चलते चुनाव में देरी हुई है।
जल्द ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत की बारी : प्रधानों के बाद अब जल्द ही अन्य ग्राम प्रतिनिधियों का भी कार्यकाल खत्म हो जाएगा। जिला पंचायत अध्यक्ष का जहां 18 जनवरी को कार्यकाल खत्म हो रहीा है। वहीं, ब्लॉक प्रमुख का 25 जनवरी को खत्म होगा। इसको लेकर भी जल्द आदेश आ सकते हैं।
प्रधानों का कार्यकाल शुक्रवार रात 12 बजे से खत्म हो गया है। अब वह कोई भी भुगतान या चेक जारी नहीं कर सकेंगे। ग्राम पंचायतों में प्रशासन नियुक्त को लेकर शनिवार को निर्णय होगा।
अनुनय झा, सीडीओ