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ना कोई देखे, ना पूछे, थाना रामभरोसे

अलीगढ़,सुमित शर्मा। सावन हरे न भादों सूखे...। यह मुआवरा शहर से सटे एक थाने पर सटीक बैठता है। इस साल यहां पांच बार बदलाव हुआ। लेकिन, हालात नहीं बदले। महत्वपूर्ण थाने की तरफ ना कोई देखता है, ना कोई कुछ पूछता है। राजा और वजीर दमदार हैं। फिर भी प्यादों की धाक जमी है। धाक भी ऐसी कि उनकी मर्जी बगैर पत्ता ना हिले। एक सज्जन कहने लगे... थाने में कोई आए तो प्यादे टोका-टाकी में लग जाते हैं। अफसरों से मिलने नहीं दिया जाता। सीयूजी नंबर सेकेंड अफसर के पास होता है। समझौताबाजी पुरानी परंपरा है। कोई नया अफसर आए तो प्यादे अपनी तरफ कर लेते हैं। अफसर भी थक-हारकर निचले स्तर की इन हरकतों को स्वीकार चुके हैं। चंद रोज पहले कप्तान ने यहां कार्रवाई की थीं। लेकिन, लंबे समय से जमे प्यादे अभी भी मनमानी कर रहे हैं। इस तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि थाना रामभरोसे ना रहे।

आप भी समझें कर्तव्य

पुलिस क्या-क्या करे...? अक्सर अफसरों की जुबान से ये सुनने को मिल जाता है। लॉकडाउन में लोगों ने इसे माना भी है। किसी के घर में सांप निकला तो पुलिस ने हटाया तो कहीं राशन खत्म हुआ तो भी खाकी मददगार बनी। इन दिनों लचर यातायात और इंटरनेट पर धोखाधड़ी ने आमजनों को जकड़ लिया है। दोनों समस्याअों में पुलिस तो अपना काम कर रही है। लेकिन, कुछ कर्तव्य हमारे भी हैं। नियमों का पालन हमें ही करना होगा। बात इंटरनेट मीडिया की करें तो बचाव हमारे हाथ में है। पुलिस ने जागरूकता का अभियान छेड़ा है। तमाम पोस्टर, बैनर, वीडियो बनाए गए हैं, ताकि लोग जागरूक बनें। रेंज स्तर पर बने थाने को भी मजबूती की जरूरत है। टीम कमजोर नहीं है। लेकिन, संसाधनों का अभाव है। ठगी हो तो पता लगाना मुश्किल हो जाता है। ठग पुलिस के चार कदम आगे हैं। खाकी को भी अपडेट होना पड़ेगा।

...तो रातों-रात लौटा लिए नोटिस

कैंपस में बड़ी गतिविधि होने पर खाकी का सतर्क होना लाजिमी है। जब देश के प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की बात आई तो पूरा महकमा जुट गया। कार्यक्रम भले अॉनलाइन था। लेकिन, खाकी की तैयारी ऐसी थीं कि मानो प्रधानमंत्री शहर में आए हों। पूरे क्षेत्र को छावनी बना दिया। बवाल का एक साल भी हाल ही में पूरा हुआ है। ऐसे में पुलिस की सिरदर्दी भी बढ़ गई। कई छात्रनेताओं के अलावा शरारतीतत्वों को पाबंद करने के लिए नोटिस बना लिए गए। सूची तैयार हो गई थी। लेकिन, बातचीत में सभी ने सद्भावना का भरोसा दिलाया। पुलिस ने इस भरोसे पर विश्वास जताया। रातों-रात नोटिस देने का फैसला वापस लिया गया। खैर, कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। एसीएम-सीओ की जोड़ी ने एक बार फिर मुस्तैदी से मोर्चा संभाला और अंदर से लेकर बाहर तक की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी। नतीजतन, किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होने दी।

इतना खूबसूरत माहौल कहीं नहीं देखा...

शहर पर जब-जब मुसीबत आई, तब-तब विशेष बल ने ताकत दी। बल की कार्यशैली पुलिस तो थोड़ी अलग है। लेकिन, अनुशासनता बहुत ऊपर। तमाम संकटों के बावजूद बल के धुरंधरों ने पूरे प्रदेश में अलग पहचान बनाई है। बल के मुखिया आए तो निरीक्षण के लिए थे। लेकिन, यहां के रंग-ढंग के मुरीद हो गए। मुखिया ने अलीगढ़ से ही ट्रेनिंग की थी तो 

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