अलीगढ़ । शहर की स्वच्छता व्यवस्था में ठेका कर्मियों (आउटसोर्सिंग) का भरपूर योगदान है। सड़कों की सफाई हो या कूड़ा कलेक्शन, या फिर सीवर सफाई का कार्य, इन्हीं कर्मचारियों के सहारे चलता है। सफाई व्यवस्था से जुड़े कार्यों में अधिकांश इन्हीं की तैनाती है। पार्षद वार्डों के अलावा इन्हें नगर निगम सीमा में शामिल हुए गांवों में भी भेजा जा रहा है। जरा सी लापरवाही पर सीधा सेवा समाप्ति की कार्रवाई होती है। बावजूद इसके वेतन वृद्धि को लेकर नगर निगम अधिकारी खींच रहे हैं। जबकि, बीते साल ही शासन ने वेतन वृद्धि के आदेश किए थे। कार्यकारिणी की बैठक में वेतन वृद्धि पर अधिकारी सहमत भी हुए, लेकिन बोर्ड अधिवेशन में घोषणा नहीं की गई। इसको लेकर कर्मचारियों में रोष है। बुधवार को अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार गुप्त से फिर गुहार लगाई। सिर्फ आश्वासन ही मिला।
आउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्तियां शुरू
स्थायी नियुक्तियों पर रोक के बाद सरकार ने आउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्तियां शुरू कर दी थीं। सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए ही विभिन्न पदों पर कर्मचारी तैनात किए जा रहे हैं। वेतन भी छह हजार रुपये से डेढ़ लाख रुपये तक है। स्मार्ट सिटी लिमिटेड में अच्छी खासे वेतन पर नियुक्तियां हुई हैं। नगर निगम में शहरी आजिविका मिशन के जरिए नियुक्ति हुई थीं। इनमें सफाई कर्मी भी हैं। निगम में कहने को तो 2316 सफाई कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन काम ठेका कर्मियों से ज्यादा लिया जाता है।
960 हैं ठेका कर्मी
ठेका कर्मियों की संख्या 960 है, स्थायी 961 और संविदा कर्मचारी 395 हैं। इनके वेतन में जमीन आसमान का अंतर है। 961 स्थायी कर्मचारियों का प्रतिमाह का वेतन 2,11,42,000 रुपये है, संविदा कर्मचारियों का 68,65,100 और ठेका कर्मचारियों पर 2,71,244 रुपये खर्च हो रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि जब उनके काम अधिक लिया जा रहा है तो वेतन उसी हिसाब से मिले। दरअसल, स्थायी कर्मचारियों में कई तो कर्मचारी यूनियनों के पदाधिकारी हैं। कुछ को सुपरवाइजर व अन्य जिम्मेदारियां दे रखी हैं। ठेका कर्मियों के हवाले सफाई व्यवस्था ही है। नाला गैंग भी इन्हीं कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। जो मैनहोल, नालों की सफाई करते हैं।
200 रुपये दैनिक वेतन
नगर निगम कर्मचारी कल्याण संघ के अध्यक्ष संजय सक्सेना का कहना है कि ठेका कर्मियों को 200 रुपये प्रतिदन के हिसाब से वेतन मिलता है। जबकि, शासन ने 308 रुपये के हिसाब से भुगतान करने के निर्देश दे रखे हैं। लेकिन निगम अधिकारी सुनने का तैयार नहीं हैं। महामंत्री मानवेंद्र सिंह बघेल ने कर्मचारियों के हित में फैसला करने की मांग निगम अधिकारियों से की है। वहीं, उपसभापति पुष्पेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में ठेका कर्मियों की वेतन वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया था, जिस पर सहमति भी बनी। लेकिन इस प्रस्ताव को बोर्ड में मंजूरी नहीं मिली। अधिकारी मौखिक घोषणा भी नहीं कर सके।